सीने से लगा के कहा करती थी माँ मुझको,
तू लाल है मेरा ना सता मुझको,
पछतायेगा एक दिन जब मैं चली जाउंगी,
ना चाहते हुए भी अकेला छोड़ जाउंगी,
ज़माना दिखायेगा गर्मी की शिद्दत तुझको,
याद करके रोयेगा तू फिर मुझको,
मुद्दत से मेरी माँ ने सीने से नहीं लगाया,
अब सो गयी ख़ाक में जब कुछ कहने का वक़्त आया....!!!!!!!
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