आखरी बार आखरी ख़त मैंने लिखा उसे,
देती है मेरी मोहब्बत आखरी तोहफा उसे,
याद रखे या भुला दे मुझे परवाह नहीं,
याद करके भूल जाऊं उसको मैं ऐसा नहीं,
बेवफ़ा की बेवफाई साथ मेरे जाएगी,
और जब उठेगा जनाज़ा मेरा तो आवाजें आएंगे
आ देख ले ज़िन्दगी की ये आखरी ये शाम है,
आखरी ये ख़त एक बेवफ़ा के नाम है |
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