Tuesday, November 30, 2010

मेरे इश्क का फ़साना.......

मुझ से वफ़ा निभाना तेरे बस में नहीं जाना,
दो फूल भी सजाने मेरी क़ब्र पर ना आना,
मेरे इश्क की हकीकत तुमने कभी ना समझी,
मेरे बाद याद करना मेरे इश्क का फ़साना,












दिल में बसाते हैं सब, तुम्हें रूह  में था बसाया,
तुम ने ही बदल डाला मेरी रूह का ठिकाना,
एक इल्तेजा है तुम से है छोटी सी गुजारिश,
सब कुछ ही याद रखना बस मुझ को भूल जाना,
सिला मांगता हूँ उन से जो खुद ही हैं सवाली,
मुझे क्या सिला देगा ये बेरहम ज़माना |

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