अभी मौत से डर लगता है, थोड़ी सांस और चलने दो,
है बर्फ सरीखा प्यार अभी, तुम इसको ना पिघलने दो,
बस यही दुआ है अपनी,ये साथ अपना बना रहे,
मैं तुमसे दूर ना जाऊं, तुम मुझको ना बिछड़ने दो,
जीवन नदिया की धारा है, कुछ निश्चित नहीं किनारा है,
पतवार बनो तुम नैय्या की, मुझको भी पार उतरने दो,
प्यार नहीं रहा तो गम कैसा, उसकी यादें तो जिंदा है,
बस लेकर मोहब्बत का नाम मुझे, दुःख-दर्द सभी का हरने दो,
महफ़िल है सूनी आज अगर, तो रौनक भी आ जाएगी,
चुप-चुप से बैठे " ज़नाब " को, तुम नया शेर तो कहने दो |
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