Saturday, November 6, 2010

मेरी मोहब्बत हो तुम.......

भीगे गुलाब जैसी खुबसूरत हो तुम,
जो भी हो जाना मेरी मोहब्बत हो तुम,
ख्वाबों में आ के मीठे सपने दिखाके,
मुझे आने वाले सुनहरे लम्हे दिखाके,
क्या कोई परी की जैसी शरारत हो तुम ?
जो भी हो जाना मेरी मोहब्बत हो तुम ||

यादों में लिख गए अशारो जैसे,
प्यार में सजाये हुए ग़ज़लों जैसे,
क्या लिखें जो सुनहरी ख्यालात हो तुम,
जो भी हो जाना मेरी मोहब्बत हो तुम,
तेरी बातों में वो चासनी हाय रब्बा,
दिल मेरा उनमें बस डूब जाये रब्बा,
क्या मेरे लिए बस एक बरसात हो तुम,
जो भी हो जाना मेरी मोहब्बत हो तुम ||

चेहरे से जो ज़ाहिर है वो छुपाऊँ कैसे ?
तुझसे कितनी मोहब्बत है ये बताऊँ कैसे ?
क्या मेरे दिल की ही सिर्फ रियासत हो तुम ?
जो भी हो जाना मेरी मोहब्बत हो तुम ||

भाता नहीं कोई चेहरा बस तेरे सिवा,
कोई नहीं दीवाना तेरा एक मेरे सिवा,
क्या फुर्सत से तराशी गयी मूरत हो तुम,
जो भी हो जाना मेरी मोहब्बत हो तुम ||

जहाँ भी जाऊं जिधर भी जाऊं मैं,
महफिलों में खुद को तन्हा पाऊँ मैं,
क्या मेरी ज़िन्दगी की अब जरुरत हो तुम ?
जो भी हो जाना मेरी मोहब्बत हो तुम ||

जो भटक जाऊं कहीं आ जाना राहों में,
ले जाओ मंजिल पे भर के बाँहों में,
क्या मेरी हर जुस्तजू-ऐ-ताक़त हो तुम ?
जो भी हो जाना मेरी मोहब्बत हो तुम ||

ज़ेह्नसीब हूँ मैं जो पाया तुझ को,
हर सू हर लम्हा सिर्फ चाहा तुझको,
क्या खुदा की मुझ पे की रहमत हो तुम ?
जो भी हो जाना मेरी मोहब्बत हो तुम ||

और क्या कहू तुमसे जान-ऐ-तमन्ना,
तुम ही हो सिर्फ मेरी दिल-ऐ-तमन्ना,
क्या ज़िन्दगी से लगायी हुई शर्त हो तुम ?
जो भी हो जाना मेरी मोहब्बत हो तुम ||

जो करी मुजाहिद नहीं वो इबादत हो तुम,
हाँ मेरी जाना मेरी मोहब्बत हो तुम
मेरी मोहब्बत हो तुम, मेरी मोहब्बत हो तुम ||

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