Friday, November 12, 2010

औरत है ज़हर की पुड़िया.....

जवान हो या बुढ़िया, या नन्ही सी गुड़िया,
कुछ भी हो, औरत है ज़हर की पुड़िया,
मरे पिस्तोल से ना मरे तलवार से,
मर्द को गुलाम बनाये बड़े प्यार से,
कभी इकरार से तो कभी इनकार से,
नैनो के श्रींगार से तो कजरे की धार से,
जवान हो या बुढ़िया, या नन्ही सी गुड़िया,
कुछ भी हो, औरत है ज़हर की पुड़िया,
चलने में तेज़ जैसे घड़ियाल की,
लाये ये खबर निकाल के पाताल की,
कच्ची है कान की तो झूठी है जुबान की,
काली हो या गोरी ये बर्बादी है इंसान की,
जवान हो या बुढ़िया, या नन्ही सी गुड़िया,
कुछ भी हो, औरत है ज़हर की पुड़िया,
चार आने झगडा,आठ आने लफ्ड़ा,
झूठ बोले बारह आना,सोलह आना लफड़ा,
हो नहीं सकता ये काम भगवान का,
नक्शा जरूर होगा ये तो किसी शैतान का,
जवान हो या बुढ़िया, या हो नन्ही सी गुड़िया,
कुछ भी हो, औरत है ज़हर की पुड़िया |


AUTHOR - UNKNOWN

3 comments:

  1. बाप रे बाप लगता है की किसी ने दिल तोड़ दिया है और चोट जोरदार लगी है | तभी टूटे दिल से ये बदुआ निकली है | दिल पर रखो हाथ और बोलो आल इज वेळ |

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  2. नहीं अंशुमाला जी ऐसी कोई बात नहीं है
    हमारा और मोहब्बत का मीलों तक कोई नाता नहीं है....
    और बहुत बहुत धन्यवाद् अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करने के लिए...

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