Thursday, September 23, 2010

मुझसे बिछड़ कर रोती होगी

मुझसे बिछड़ कर रोती होगी,
ग़म को कितना समझती होगी,
जिन राहों पर चलती होगी,
मेरी याद में तड़पती होगी,
मुझसे जो ना कह सकती थी,
अब वो खुद से कहती होगी,
गुजरी बातें गुज़रे लम्हें,
याद कर के वो रोती होगी,
फुर्सत तुम को हो के ना हो,
ख़त फ़िर भी लिखती होगी,
और लिख के,जलाने से कुछ पहले,
उन को वो खुद भी पढ़ती होगी.....

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