उन्होंने कभी अपना बनाया ही नहीं,
झूठा ही सही प्यार दिखाया ही नहीं,
गलतियाँ अपनी हम मान भी जाते,
पर क्या करे कसूर हमारा हमें बताया ही नही,
हजारों झोपड़ियाँ जलकर राख होती हैं,
तब जाकर कहीं एक महल बनता है,
आशिको के मरने पर कफ़न भी नहीं मिलता,
और हसीनो के मरने पर ताजमहल बनता है,
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