Friday, September 24, 2010

फिर याद आई वो.....

अब के यूँ दिल को सजा दी हमने,
उस की हर बात भुला दी हमने,
एक,एक फूल बहुत याद आया,
शाख़-ऐ-गुल जब वो जला दी हमने,
आज तक जिस पे वो शरमाते हैं,
बात वो कब की भुला दी हमने,
शाह-ऐ-जहाँ राख से आबाद हुआ,
आग जब दिल की बुझा दी हमने,

आज फिर याद बहुत आई वो,
आज फिर उसको दुआ दी हमने,
कोई तो बात है उसमें "जनाब"
हर ख़ुशी जिस पे लुटा दी हमने....

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